सफीदों में मोहनलाल बडौली के समर्थकों ने गाड़ी पर हमला करने पर पुलिस में अज्ञात लोगो के खिलाफ मामला दर्ज करवाया
Mohanlal Badoli's Supporters filed a Case
सफीदों (विनय दीवान): Mohanlal Badoli's Supporters filed a Case: सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी मोहनलाल बडौली के प्रचार के लिए उपमंडल के गांव मलिकपुर में गई एक गाड़ी पर अज्ञात लोगों ने हमला बोल दिया। गाड़ी में सवार लोगों ने किसी से तरह सेभ् भागकर अपनी जान बचाई। इस संबंध में पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सफीदों पुलिस को दी शिकायत में सोनीपत निवासी संदीप, बिजेंद्र, अनिल व मुकेश ने कहा कि 29 अप्रैल को भाजपा प्रत्याशी मोहनलाल बड़ौली के चुनावी कार्यक्रम में हम 6 लोग गाड़ी में गांव मलिकपुर जा रहे थे कि गांव में बस अड्डे पर पहले से ही 200-250 लोग तलवार और लाठियां लेकर खड़े थे। अचानक उन्होंने हमारी गाड़ी पर हमला कर दिया। इस हमले में हमारी गाड़ी का शीशा व नंबर प्लेट टूट गई। अचानक खतरे को भांपते हुए ड्राईवर ने गाड़ी को वापिस भगा लिया और काफी लोग मारने के लिए हमारी गाड़ी के पीछे-पीछे भागे। हम किसी तरह से उन लोगों से बाल-बाल बचे। शिकायत के आधार पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ भादस की धारा 148, 149, 427 व 506 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
गांव धर्मगढ़ से मोहनलाल बडौली के काफिले को बैरंग लौटाया
सोमवार देर सांय को सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी मोहनलाल बडौली के काफिले को बैंरग लौटाया गया। बता दें कि प्रत्याशी मोहनलाल बडौली के सोमवार को हलका सफीदों के गांव करसिंधू, टीटो, अंटा, बडौद, बसीनी,ख् खातला, भुसलाना, डिडवाड़ा,ख् निमनाबाद, साहनपुर, सरनाखेड़ी, धर्मगढ़, मलिकपुर, रोहढ़, आफताफगढ़ व सिंघाना में प्रचार कार्यक्रम थे और इस प्रचार के दौरान सफीदों विधानसभा के अनेक भाजपा नेता भी शामिल रहे। सारा दिन धड़ाधड़ प्रचार का कार्यक्रम चला। गांव धर्मगढ़ की कश्यप चौपाल में कार्यक्रम संपन्न करने के बाद वहां से वाया खेड़ा खेमावती के रास्ते से गांव रोहढ़ की तरफ कूच करने लगे तो धर्मगढ़ के ग्रामीणों ने उनके काफिले को रोक लिया और खिलाफत में नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने कहा कि जब सरकार उन्हे दिल्ली जाने से रोक रही है तो वे भी उन्हे इस रास्ते नहीं जाने देंगे। ग्रामीणों को काफी समझाने का प्रयास किया गया लेकिन वे नहीं माने। ग्रामीणों की जिद्द के आगे भाजपा नेताओं ने घुटने टेक दिए और काफिले को वापिस मोड़ने में ही अपनी भलाई समझी। उसके बाद काफिले को दूसरे रास्ते से रवाना होना पड़ा।